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Aye lashkaron ke rab aur ahad ke

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Chords
Verse 1
ऐ लश्करों के रब और अहद के संदूक तू हजारों, हजारों में लौट के आ, लौट के आ (2)
Verse 2
तुझ से घृणा रखने वाले, शर्मिन्दा हों तेरे सारे बैरी अब तो परागंदा हों (2)
Verse 3
शैतान के सारे कैदी आज़ाद हों उसकी सारी छिपी चालें , बरबाद हों (2)
Verse 4
तेरी मदद से हम बहादुरी करेंगे, तू ही हमारे मुखालिफों को पामाल करेगा (2)
Verse 5
सारे साँपों बिच्छुओं को हम कुचलेंगे दुश्मन की सारी कुदरत पर , गालिब आयेंगे (2)
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