Verse 1विजय की आवाज सुनता हु
हल्लेलुया हल्लेलुया
महिमा का राजा आ रहा है
कटनी का दाता है वो
Verse 2जायेंगे हम खेत में
कटनी को हम करेंगे
जीते हम इस दुनिया से बी
मूल्यवान आत्माओं को
Verse 3अंधकार से बरा जगत में
है नही ज्यादा दिन
ज्योति को हमें फैलाने
मुझे भी तू भेजना
Verse 4किसको में अब भेजूंगा
कोन अब जायेगा
प्रेमी पिता का कोमल ध्वनि
सुनता हु खानो में
Verse 5दिन प्रतिदिन नरक की और
जाता है हजारों लोग
प्रेमी पिता के प्रेम को
ना जानकर नाश होते
Verse 6जीवन के अंत में पोछूंगा
तेरे चरणों मे
खाली हाथ से रहने को
ऐसा ना होने पाए
Verse 7Translation of
Aarppin nadam uyarunnitha (117)