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Vishwas ke jeevan ki - Vishvasa jeevitha

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Chords
Verse 1
विश्वास के जीवन की इस नया में सियों नगर की और जाता हू में विश्वास के अगुवा येशु को ताकते विश्राम के देश की और जाता हू में
Verse 2
लहरों नया में उठने पर बी न कोई बैचेनी मुझे तभी आंधी और लहरों का सिरजनहारा आसरा बनकर तू मेरे खरीब
Verse 3
मृत्यु के छाया की तराई में शरणस्थान बनकर येशु ही संग दया दर्शाकर हाथों को थामकर चलाएगा मुझे अंतिम क्षण तक
Verse 4
स्वर्ग में मेरे भवन पोछूंगा जब आसुवों सारे उस दिन होगा दूर अंगिनित उसके उपकारों स्मरण कर चरणों में गिरपदकर वर्णन करू
Verse 5
बेहद परीक्षाओं अधिक दर्दों जीवन में अविरत आने पर बी येशु को दिल में स्मरण करते हुए तक्कान को बुलकर में जाता हू घर
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