Verse 1यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी, चलता हूँ मार्ग से तेरा,हो निशान तू ही यीशुजी, बंदरगाह तू मेरा
Verse 2सोचा था मैं यह जग मेरा, शेष कुटुंब सब हैं प्यारा,
धोखा सब कोई न सहारा, व्यर्थ ही व्यर्थ ही सारा
Verse 3धन दौलत सब मानव इज़्ज़त, यही रहेगा जाल जयेगा,
ये जगत पाप से भर, श्राप ही श्राप है सारा.
Verse 4जान गया मैं उस दिन प्रभुजी, बदला जीवन लहू से मेरा,
बड़ा आनंद, तुने कहा था, पाप क्षमा हुआ मेरा.
Verse 5इस जग में अब मैं हूँ मुसाफिर, क्रूस उठाकर चलता रहूँगा,
पाया मैं अनमोल धन को, है जो यीशु से मेरा.