Verse 1येशु कैसा दोस्त प्यारा, दुःख और बोज उठाने को
क्या ही उम्दा वकत हमरा, बाप के पास अब जाने को
आह! हम राहत अक्सर खोते, नाहक गम उठाते है
यही बाईस है यकीनन, बाप के पास न जाते है।
Verse 2गरची इम्तिहान हो सामने, या तकलीफ मुसीबत हो
तब दिलेर और शांति तुम होकर, बाप को जाकर खबर दो
कौन और ऐसा दोस्त लायक, जो उठाते दुःखों को
हर कमजोरी को वह जनता, जाके बाप से सब कहो।
Verse 3क्या तुम्हारा हाल है पुरदर्द?, क्या तुम बोझ से दबे हो?
यीशु है हमदर्द तुम्हारा, जा के उसको खबर दो
दोस्त जब छोड़े और सताए, बाप से सारा हाल कहो
तब वह गोद में तुम को लेके, पोंछेगा हर आँसू को